हाल बेहाल इतना सभी का यहाँ, ख़त्म होगी कभी जेठ की दोपहर। हाल बेहाल इतना सभी का यहाँ, ख़त्म होगी कभी जेठ की दोपहर।
पथराई सी नजरें, तेरा जिस्म कांप रहा था पथराई सी नजरें, तेरा जिस्म कांप रहा था
पटरी ने ही उसे बहुत दूर कर दिया मजदूर था वो साहब ! मजदूर था। पटरी ने ही उसे बहुत दूर कर दिया मजदूर था वो साहब ! मजदूर था।
हर हालत में टिकने वाले जो शूर है हा वो मजदूर है। हर हालत में टिकने वाले जो शूर है हा वो मजदूर है।
पर मन की बात कहने में थोड़ा वक़्त लगता है। पर मन की बात कहने में थोड़ा वक़्त लगता है।
बागडोर तुमको हम सौंपे तुम मनमानी कर जाते हो बागडोर तुमको हम सौंपे तुम मनमानी कर जाते हो